क्यों एक पल की भी जुदाई सही जाए ना क्यों हर सुबह तू मेरी सांसों में समाये ना आजा ना तू मेरे पास दूंगा इतना प्यार मैं कितनी रात गुज़ारी है तेरे इंतज़ार में
कैसे बताऊं जज़्बात ये मेरे मैंने ख़ुद से भी ज़्यादा तुझे चाहा है
सब कुछ छोड़ के आना तू सावन आया है तेरे और मेरे मिलने का मौसम आया है